गांव में कवनों अइसन घर नइखे, जहॉ केहु कवनों ना कवनों अपना खास के ना खोवले होखें. लेकिन जइसन कुँवर नारायण के एगो कविता में बतावल गईल बा, आ जवना के ई आशय बा कि आदमी के साहस से ताकतवर कवनों आफत, विपत्ति ना हो सकें. एह उम्मीद के सहारे जीवन के नाव आगे खेंवात बा. ई किसानन के जिंदगी में भी तबाही के दुसरका साल चलत बा.
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