सपनों को पंख देने में जुटी 10 साल की दिव्‍यांग बच्‍ची, जानें अनपढ़ माता-पिता की बिटिया की अनूठी कहानी

फतेहपुर गांव के सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा सीमा के माता-पिता मजदूरी करते हैं. उसके पिता खीरन मांझी दूसरे प्रदेश में मजदूरी करते हैं. पांच भाई-बहन में एक सीमा किसी पर अब तक बोझ नहीं बनी है. एक पैर होने के बावजूद सीमा में पढ़ने-लिखने का जुनून है. यही कारण है कि शारीरिक लाचारी को भुलाकर यह बच्ची बुलंद हौसले के साथ स्कूल जा रही है.
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