2012 में मां जगदम्बा भवानी की तपस्या में लीन मौनिया बाबा ने अपने नश्वर शरीर का इच्छा से त्याग किया तो उनका यही पर समाधि स्थल बना. उसके बाद से लगातार श्रद्धालुओं का तांता समाधि स्थल के दर्शन करने के लिए लगा रहता है.यहां मंदिर का भी निर्माण कराया गया है
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