ज्ञानी अर्जुन सिंह बताते हैं कि गुरु महाराज को दतमन (दांत मांजने) के लिए माता विशंभरा ने करौंद का एक डंठल पकड़ा दिया था.जिसे गुरु महाराज ने खेल खेल में ही जमीन में गाड़ दिया.इसके कुछ ही दिनों बाद वह डंठल पौधा बन गया और देखते ही देखते पेड़ में बदल गया. अर्जुन सिंह ने ये भी बताया कि इसका फल सेवन करने से निःसंतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है
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