बुजुर्ग अर्जुन ने सिर्फ पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई की है, लेकिन इसके बावजूद वे बचपन से ही लोक गीत लिखने में प्रवीण रहे हैं. गांव में होने वाले शुभ कार्यक्रमों में उन्हें अथिति लोक गायक के रूप में आमंत्रित किया जाता है, जिससे वे अपनी कला को साझा कर सकते हैं.
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