मुकुंद कुमार ने बताया कि रेल हादसे का शिकार हो गए थे और उनके शरीर का आधा हिस्सा कटकर अलग हो गया था. मुश्किल समय में भी हिम्मत नहीं हारी और शिक्षण का कार्य करते रहे. इससे पहले भी शिक्षक की नौकरी हासिल की थी, लेकिन स्कूल की दूरी अधिक रहने के चलते नौकरी छोड़ दी थी.
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