जानकार देवेंद्र विश्वकर्मा और सीताराम केसरी बताते हैं कि 350 साल पहले रानी अहलियाबाई ने इस गांव को बसाया था. यहां कठोर काले पत्थर की नक्काशी की जाती है, जो अपने आप में अनोखा है. यहां के लोग ग्रेनाइट सफेद, बलुआ पत्थर, संगमरमर को मनचाहा रूप देने में माहिर हैं.
http://dlvr.it/Sl214h
No comments:
Post a Comment